शनिवार, 31 जुलाई 2021
अपनी अपनी किस्मत !
सवा महीना !
सवा महीना !
इस त्रासदी के कठिन काल ने सबकी सोच बदल दी लेकिन वे नहीं बदले जो खुद इसे झेल चुके हों । रीना का बेटा कोरोना में चल बसा । उस कठिन काल में भी उर्मिला बराबर आकर काम करती रही । जबकि और काम वालियों ने उसे जाने से मना भी किया था ।
"दीदी मैं नहीं मानती , ये भाग्य का खेल है। कोई मनहूस नहीं हो जाता। इसमें बहू का क्या दोष ।"
भाग्य ने उसके साथ भी खेल कर दिया , उसका पति कोरोना में चल बसा । तीन लड़कियाँ है , कमाने वाला तो गया । सवाल रोजी पर भी आ गया । किसी तरह सवा महीना गुजारा । ये अंधविश्वास हमारे समाज में सदियों से पलता चला आ रहा है कि हाल में हुई विधवा का मुँह देखना अशुभ माना जाता है ।
पेट नहीं मानता , जमा पूँजी इलाज में लगा दी । काम अब कैसे करने जाय ? कोई बुलाए तब न ।
उसने फोन किया - "दीदी बहू की जचगी हो गई होगी, अब खाना बनाने आने लगूँ ।"
"न न अभी न आ , अभी तो सवा महीना भी न हुआ होगा ।"
" हो गया दीदी , घर में बैठकर खाऊँगी क्या ?
" अभी न आओ, दीपा भी अपना बच्चा लेकर आ रही है ....।"
"बहूरानी से न कोई परहेज है , हमसे परहेज कर रही हैं ।"
"उसे मैंने जब तक दीपा रहेगी मायके भेज दिया है ।"
"क्या ?" उर्मिला मुँह खुला रह गया।
सोमवार, 19 जुलाई 2021
एक अनमोल भाव!
घर में कैद करके रख.दिया इस कोरोना न । यही एक भाई ऐसा था जो चक्कर लगा ही जाता ।
उस दिन रति ने उसे बहुत डाँटा - "क्यों निकलते हो बाहर धूप में , घर में नहीं रहा जाता ।"
"क्या करूँ सबकी खोज खबर रखनी पड़ती है ।" कहते हुए बेफिक्री से हँस दिया ।
" इस समय जैसे तुमने ही सारा ठेका ले रखा है । इतनी तेज धूप पड़ रही है , ऊपर से बाइक से चलना ।"
"चिंता मत करो बड़ी कड़ी जान हूँ , मुझे कुछ नहीं होनेवाला ।"
बस उससे रति की वही आखिरी मुलाकात थी । उसी दिन घर पहुँचकर उसे बुखार हुआ । फिर टेस्टिंग में पॉजिटिव निकला और कोरोना की जद्दोजेहद शुरू ।
बस चार दिन- अस्पताल में एडमिट होना , ऑक्सीजन की कमी, आईसीयू और फिर वेंटीलेटर पर जाना और रात भतीजे का फोन आना - "बुआ पापा नहीं रहे।"
आधी रात वह बैठी रोती रही , उसके बाद मिलना ही न हो सका । शाम तक सब खत्म ।
भाभी से मुलाकात भी चार महीने पहले भतीजे की शादी में हुई थी , उसका वही खिलखिलाता चेहरा सामने घूमता है। अब फोन करके वह क्या समझाये? खुद धैर्य नहीं रख पा रही थी तो जिसकी दुनिया ही उजड़ गई हो ?
अचानक आज कॉल आई, नाम भाई का ही आया , एकदम धक से रह गई । दूसरी तरफ भाभी थी । रति तो हैलो कहते ही रो पड़ी । दूसरी तरफ से आवाज आने लगी - "दीदी रोओ मत , आपका भाई गया है न , भाभी अभी जिंदा है । उनके जितना तो नहीं कर पाऊँगी, लेकिन आपका मायका तो रहेगा सदा ।"
रति भाभी के धैर्य और प्यार से कही बात को सुनकर फफक फफक कर रो पड़ी।