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शनिवार, 31 जुलाई 2021

अपनी अपनी किस्मत !

    मेरी यह बहुत ही बुरी आदत है कि मैं अपने उम्र वालों के साथ ही नहीं बल्कि अपने से बड़ों और छोटों के साथ भी उतनी ही घुली मिली रहती हूँ कि वे अपनी समस्याएं और तकलीफें बयां कर देते है।
                              ऐसी ही घटना  दिनों सामने आई की इंसान के जीवन में कभी कभी इंसान से जानवर अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। वैसे तो ये आम बात है कि  बड़े घरों में कुत्ते नौकरों से बेहतर जीवन जीते हैं।   वह बड़े घरों की बाते हैं लेकिन ये बात अब हमें अपने  मध्यम वर्गीय परिवारों में  भी देखने को मिलने लगी है। माताजी के घर में उनका बेटा और बहू  और एक कुत्ता है। उनके दोनों बच्चे बाहर  रहते हैं सो वह कुत्ता ही उनके लिए बेटा बन चुका  है। पत्नी के मायके में शादी थी सो वह पति पत्नी ससुराल चले गए . घर में माँ  और कुत्ता बचा . बहू रानी सास के लिए तीन दिन के लिए रोटियां कैसरोल में सेंक कर रख गयीं क्योंकि उनको कुछ कम दिखलाई देता है और सब्जी भी बना कर फ्रिज  में  रख गयी लेकिन कुत्ते के लिए काम करने वाली से कह कर गयी कि  ये गरम रोटी ही खाता है सो जब वह काम करने आये तो इसको गरम रोटी बना कर खिला दे और सास से कह दिया कि  जब इसका दूध का बरतन खाली  हो जाए तो उसमें दूध भर दिया करें .  इस घर में सास को एक कप दूध नसीब नहीं है और कुत्ते के लिए 1 किलो   दूध आता है . पति प्राइवेट नौकरी में थे फंड मिला  था बच्चे के लिए घर बनवा दिया और पत्नी के लिए जो कुछ छोड़ा था वह बेटे ने समय समय पर निकाल  लिया ।
                एकांत पाकर माताजी ने दिल और मुंह दोनों खोल कर हलके होना चाहा क्योंकि उनकी उम्र के लोग अब कम ही बचे हैं सो वह किसके पास जाएँ और कहाँ जाकर बैठें सो अपने कमरे में चुपचाप लेटी  रहती हैं। आँखें कमजोर हैं तो टीवी भी नहीं देख पाती। कई कई दिन हो जाते हैं - बगैर किसी से बात किये। बहू बेटा अपने कमरे में उस कुत्ते के साथ बातें करते रहते हैं . जितना समय वह कुत्ते के साथ गुजरते हैं उसका अगर एक  प्रतिशत भी उनके  पास बैठ कर गुजारें  तो उनको भी लगे कि  वह इसी घर का सदस्य हैं।

सवा महीना !

 सवा महीना !


        इस त्रासदी के कठिन काल ने सबकी सोच बदल दी लेकिन वे नहीं बदले जो खुद इसे झेल चुके हों । रीना का बेटा कोरोना में चल बसा । उस कठिन  काल में भी उर्मिला बराबर आकर काम करती रही । जबकि और काम वालियों ने उसे जाने से मना भी किया था ।

  "दीदी मैं नहीं मानती , ये भाग्य का खेल है। कोई मनहूस नहीं हो जाता। इसमें बहू का क्या दोष ।"

       भाग्य ने उसके साथ भी खेल कर दिया , उसका पति कोरोना में  चल बसा । तीन लड़कियाँ है , कमाने वाला तो गया । सवाल रोजी पर भी आ गया । किसी तरह सवा महीना गुजारा । ये अंधविश्वास हमारे समाज में सदियों से पलता चला आ रहा है कि  हाल में हुई विधवा का मुँह देखना अशुभ माना जाता है ।

         पेट नहीं मानता , जमा पूँजी इलाज में लगा दी । काम अब कैसे करने जाय ? कोई बुलाए तब न । 

         उसने फोन किया - "दीदी बहू की जचगी हो गई होगी, अब खाना बनाने आने लगूँ ।"

    "न न अभी न आ , अभी तो सवा महीना भी न हुआ होगा ।"

   " हो गया दीदी , घर में बैठकर खाऊँगी क्या ?

     " अभी न आओ, दीपा भी अपना बच्चा लेकर आ रही है ....।"

           "बहूरानी से न कोई परहेज है , हमसे परहेज कर रही हैं ।"

"उसे मैंने जब तक दीपा रहेगी मायके भेज दिया है ।" 

"क्या ?"  उर्मिला मुँह खुला रह गया।

सोमवार, 19 जुलाई 2021

एक अनमोल भाव!

 घर में कैद करके रख.दिया इस कोरोना न । यही एक भाई ऐसा था जो चक्कर लगा ही जाता । 

        उस दिन रति ने उसे बहुत डाँटा - "क्यों निकलते हो बाहर धूप में , घर में नहीं रहा जाता ।"

    "क्या करूँ सबकी खोज खबर रखनी पड़ती है ।" कहते हुए बेफिक्री से हँस दिया ।

" इस समय जैसे तुमने ही सारा ठेका ले रखा है । इतनी तेज धूप पड़ रही है , ऊपर से बाइक से चलना ।"

"चिंता मत करो बड़ी कड़ी जान हूँ , मुझे कुछ नहीं होनेवाला ।"

           बस उससे रति की वही आखिरी मुलाकात थी । उसी दिन घर पहुँचकर  उसे बुखार हुआ । फिर टेस्टिंग में पॉजिटिव निकला और कोरोना की जद्दोजेहद शुरू ।

      बस चार दिन-  अस्पताल में एडमिट होना , ऑक्सीजन की कमी, आईसीयू और फिर वेंटीलेटर पर जाना और रात भतीजे का फोन आना - "बुआ पापा नहीं रहे।"

           आधी रात वह बैठी रोती रही , उसके बाद मिलना ही न हो सका । शाम तक सब खत्म ।

            भाभी से मुलाकात भी चार महीने पहले भतीजे की शादी में हुई थी , उसका वही खिलखिलाता चेहरा सामने घूमता है। अब फोन करके वह क्या समझाये? खुद धैर्य नहीं रख पा रही थी तो जिसकी दुनिया ही उजड़ गई हो ?

              अचानक आज कॉल आई, नाम भाई का ही आया , एकदम धक से रह गई । दूसरी तरफ भाभी थी । रति तो हैलो कहते ही रो पड़ी । दूसरी तरफ से आवाज आने लगी - "दीदी रोओ मत , आपका भाई गया है न , भाभी अभी जिंदा है । उनके जितना तो नहीं कर पाऊँगी, लेकिन आपका मायका तो रहेगा सदा ।"

              रति भाभी के धैर्य और प्यार से कही बात को सुनकर फफक फफक कर रो पड़ी।