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सोमवार, 14 जून 2010

विश्व रक्त दान दिवस !

                         आज विश्व रक्त दान दिवस है , रक्त जो जीवन का आधार है और इसके निर्माण की प्रक्रिया निरंतर जारी रहती है. यदि इसका उपयोग दूसरे के लिए कर दिया जाय तो एक जीवन को बचा लिया जाता है किन्तु क्या इसके लिए रक्त सम्बन्ध की सीमा निश्चित की  जा सकती है ? नहीं - कहते हैं न कि  आखिर खून ही खून के काम आता है लेकिन ऐसा भी नहीं है. कहीं कहीं अपना खून होता है और पराया खून उसको बचा ले जाता है. तब इसको यही कहेंगे न कि खून को किसी सीमा में नहीं बांधा जा सकता है, वह तो जिसमें मिल जाए उसका ही खून बन कर दौड़ने लगता है और जीवन की साँसें फिर से चलने लगती है. 
                     आज इस दिवस पर मैं कुछ उन अनजाने बच्चों को धन्यवाद देती हूँ जिन्होंने न मुझे देखा और नहीं उन्हें मैंने देखा बल्कि हम तो जानते ही नहीं है एक दूसरे को. बात आज से करीब ५-६ साल पहले की है. मेरी बेटी की तबियत भी उस समय बहुत ख़राब चल रही थी और ठीक उसी समय मेरी छोटी बहन के पति को कैंसर हो गया. उस समय उसके मात्र एक ४ साल की बेटी थी और मेरी बहन एक गृहिणी. उनको मुंबई टाटा मेमोरिअल ले जाया गया , उनका ऑपरेशन होना था और उसके लिए उन्हें खून की जरूरत थी. एक अनजानी जगह में खून कहाँ से लाया जा सकता है? कुछ ईश्वर की कृपा हुई और मुझे यह विचार आया कि मेरे साथ कुछ साल पहले एक इंजीनियर काम करता था और उस समय वह मोहाली में जॉब कर रहा था. वह भी मुझे बहुत मानता था ( आज भी वैसे ही मानता है) मैंने उसको सारे डिटेल के साथ मेल की - और उससे कहा  कि वह ये मेल अपने मित्रों को फॉरवर्ड कर दे जिससे यदि उनके कोई मित्र मुंबई में हों और सहायता कर सकें तो उनके लिए हम कुछ कर सकते हैं. उसने वैसा ही किया और मेरी मेल अपने मित्रों  को फॉरवर्ड कर दी. उसमें मैंने अपनी बहन का मुंबई का मोबाइल नंबर भी दे दिया था. 
                    जब मेरे बहनोई का ऑपरेशन होना था तो बहन के पास कई फ़ोन आये कि वे खून देने के लिए तैयार है और जैसे ही जरूरत हो उनको कॉल कर लिया जाय. उनकी खून की जरूरत पूरी  हो गयी और ईश्वर की कृपा से आज वे पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर अपने परिवार के साथ खुशहाल हैं. मेरी उन अनदेखे और अनजाने बच्चों के लिए आज यही दुआ है कि ईश्वर उनको हमेशा सुखी रखे और मानवता का ये जज्बा जो उनको दिया है वो हमेशा हमेशा बुलंद रहे.

11 टिप्‍पणियां:

shikha varshney ने कहा…

रेखा दी ! बस इसे ही कुछ उदहारण देख कर लगता है कि इंसानियत अभी पूरी तरह से मरी नहीं .भगवान उन बच्चों को हर खुशी से नवाज़े.

माधव( Madhav) ने कहा…

good massage

ashish ने कहा…

रक्तदान महादान , मानव का मानवता के लिए उत्कृष्ट योगदान.

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

Rekha di!! khun anmol hai.......aur jab ye dusre ke rago me jarurat ke samay daurta hai to fir uski keemat upar wala bhi nahi bata sakta.......:)

aapki shaksiyat ko salam!!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

ऐसे संस्मरण..जीवन में बहुत प्रेरणादायक होते हैं

राजेश उत्‍साही ने कहा…

विश्‍वरक्‍त दान दिवस को इस तरह याद करना बहुत अच्‍छा लगा। साथ्‍ा ही नुक्‍कड़ में मेरी पोस्‍ट की चर्चा में ब्‍लाग लेखन के लिए रक्‍त यानी टिप्‍पणी दान करने की बात को समर्थन देने के लिए आपका आभारी हूं।

निर्मला कपिला ने कहा…

प्रेरणात्मक पोस्ट है। धन्यवाद और शुभकामनायें

शोभना चौरे ने कहा…

rekhaji mai bahut der se ai
ise hi khte hai aise logo ke dam par hi duniya chal rahi hai .
sbko jeevan me khushiyan mile .
abhar aise snsmarn ke liye .

Aruna Kapoor ने कहा…

रेखाजी!... आज भी मानवता के दर्शन हो ही जाते है!...और इसी बहाने हम मनुष्य में बसे भगवान के दर्शन कर लेते है!... पढ कर बहुत अच्छा लगा कि आपको समय रहते मदद मिल गई!... रक्त-दान सही में महा दान है!

ज्योति सिंह ने कहा…

rekha ji pahle to main mafi chahungi der se aane ke liye kyonki do din se blog par aai nahi ,aapko aana pada iske liye afsos hai ,magar yahan aakar behad khushi hui .manavata ka rishta aapas me hona jaroori hai tabhi taklife kam hongi is tarah ,saarthak blog .apne chand boond se kisi ko jindagi mile isse badhiya kya hoga .

Unknown ने कहा…

किसी की जान बचाने में आपका रक्त काम आ जाए, वह रक्त बहुत ही कीमती हो जाता है। मैंने भाभी जी के डायलिसिस के लिए जब भी ब्लड का कहा मेरे अलग-अलग मित्र 5-6 मर्तबा राजी हो गए। खुशी की कोई सीमा तो तब न रही जब पहला कहता तीन महीने बाद मैं फिर दे दूँगा और यह चक्र चलता ही रहेगा। मुझे वाकई 1-1 बॉटल ब्लड की कीमत समझ आई और मैंने भी रक्तदान की उनसे प्रेरणा ली।