नववर्ष की पूर्व संध्या पर आज जब हम लोग अकेले अकेले बैठे टीवी देख हैं और फिर नींद आने पर सो जायेंगे। कोई जरूरी नहीं कि हम 12:00 तक जागने की कोशिश करें हीं . बच्चों को भी ये बात पता है कि हम लोग बहुत देर तक जाग कर इंतजार नहीं करेंगे इसलिए वे भी सुबह ही विश करते हैं। ये रूटीन वर्षों से चल रहा है जब से बच्चों ने पढाई के लिए घर छोड़ा, खासतौर पर जब सबसे छोटी बेटी मुंबई गयी। कभी कभी भरे मन से ये पंक्तियाँ निकल ही जाती हैं कि "कोई लौटा दे मुझे बीते हुए दिन ........"
आज से 12 साल पीछे चलते हैं तो लगता है कि हम कभी वह दिन भी नए वर्ष पर जी रहे थे . इन्हीं को तो यादें कहते हैं और यादें सिर्फ मन और मष्तिष्क में ही संचित होने के लिए होती हैं। यही हमारी धरोहर हैं और बच्चों को भी याद आते हैं वे दिन।
उस समय हमारे घर में एक टीवी था और सब वही बैठ कर नए वर्ष पर आने वाले प्रोग्राम को देखा करते थे। हम लोगों ने बच्चों की पढाई के कारण डिश नहीं लगवाई थी . सिर्फ नेशनल टीवी पर आने वाले प्रोग्राम देखा करते थे। हमारे संयुक्त परिवार में 5 बेटियां हैं ( 3 हमारे जेठ जी की और दो हमारी ) . नए वर्ष की पूर्व संध्या पर सब लोग टीवी रूम में फोल्डिंग पर गद्दे बिछा कर रजाई रख कर बैठ जाते , सर्दी के कारण सोफे या कुर्सी पर बैठने का कोई सवाल ही नहीं उठता था। उस समय खाने के लिए करारी करारी मूंगफली बीच में रखी होती और गजक होती , प्रोग्राम के देखते देखते खाने का प्रोग्राम चलता रहता और प्रोग्राम पर कमेन्ट . शांति का तो सवाल ही नहीं उठता था। 12:00 बजते ही सबको गाजर का हलुआ जो पहले से न्यू इयर विश करने पर देने के लिए रखा जाता था। नए साल का मीठा खाकर स्वागत करने केलिए और बस उसके बाद सब अपने अपने बिस्तर में पहुँच जाते .
तब न मोबाइल और न ही नेट का इतना अधिक प्रचलन था की रात में ही लोग विश करना शुरू कर देते , इसलिए उसके बाद सोने का ही प्रोग्राम होता था। आज जब रात में अकेले टीवी देखते हैं या फिर सुबह बच्चे विश करते हैं तो सिर्फ हम ही नहीं बल्कि बच्चे भी उन दिनों को याद करके दुखी हो लेते हैं क्योंकि अब पांच बेटियों में सबसे बड़ी बैंगलोर, फिर दूसरी नॉएडा , तीसरी पुर्तगाल , चौथी दिल्ली और पांचवी मुंबई में होती हैं। फिर पाँचों इस दिन कभी इकट्ठी हो पाएंगी ये सिर्फ हम सोच सकते हैं।
आज से 12 साल पीछे चलते हैं तो लगता है कि हम कभी वह दिन भी नए वर्ष पर जी रहे थे . इन्हीं को तो यादें कहते हैं और यादें सिर्फ मन और मष्तिष्क में ही संचित होने के लिए होती हैं। यही हमारी धरोहर हैं और बच्चों को भी याद आते हैं वे दिन।
उस समय हमारे घर में एक टीवी था और सब वही बैठ कर नए वर्ष पर आने वाले प्रोग्राम को देखा करते थे। हम लोगों ने बच्चों की पढाई के कारण डिश नहीं लगवाई थी . सिर्फ नेशनल टीवी पर आने वाले प्रोग्राम देखा करते थे। हमारे संयुक्त परिवार में 5 बेटियां हैं ( 3 हमारे जेठ जी की और दो हमारी ) . नए वर्ष की पूर्व संध्या पर सब लोग टीवी रूम में फोल्डिंग पर गद्दे बिछा कर रजाई रख कर बैठ जाते , सर्दी के कारण सोफे या कुर्सी पर बैठने का कोई सवाल ही नहीं उठता था। उस समय खाने के लिए करारी करारी मूंगफली बीच में रखी होती और गजक होती , प्रोग्राम के देखते देखते खाने का प्रोग्राम चलता रहता और प्रोग्राम पर कमेन्ट . शांति का तो सवाल ही नहीं उठता था। 12:00 बजते ही सबको गाजर का हलुआ जो पहले से न्यू इयर विश करने पर देने के लिए रखा जाता था। नए साल का मीठा खाकर स्वागत करने केलिए और बस उसके बाद सब अपने अपने बिस्तर में पहुँच जाते .
हमारी पाँचों बेटियां बड़ी की शादी के अवसर पर |
तब न मोबाइल और न ही नेट का इतना अधिक प्रचलन था की रात में ही लोग विश करना शुरू कर देते , इसलिए उसके बाद सोने का ही प्रोग्राम होता था। आज जब रात में अकेले टीवी देखते हैं या फिर सुबह बच्चे विश करते हैं तो सिर्फ हम ही नहीं बल्कि बच्चे भी उन दिनों को याद करके दुखी हो लेते हैं क्योंकि अब पांच बेटियों में सबसे बड़ी बैंगलोर, फिर दूसरी नॉएडा , तीसरी पुर्तगाल , चौथी दिल्ली और पांचवी मुंबई में होती हैं। फिर पाँचों इस दिन कभी इकट्ठी हो पाएंगी ये सिर्फ हम सोच सकते हैं।
12 टिप्पणियां:
बहुत सही बात कही है आपने .सार्थक अभिव्यक्ति शुभकामना देती ''शालिनी''मंगलकारी हो जन जन को .-2013
वे दिन भी क्या दिन थे...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!
बिलकुल सही कहा आपने
आपको सहपरिवार नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ....
:-)
सही में दीदी ...कोई लौटा दे वो बीते हुए दिन
नववर्ष मंगलमय हो
सच कहा
गुज़रा हुआ ज़माना आता नही दोबारा
वक्त तो बदलता है हर एक से छल करता है.
नववर्ष शुभ हो
आपकी पोस्ट ने मुझे भी यादों के उन्हीं गलियारों में पहुंचा दिया जब हमारा भी १३ सदस्यों का संयुक्त परिवार एक ही कमरे में लिहाफों में घुस कर एक ही टी वी पर दूरदर्शन के नये साल के कार्यक्रमों का आनंद लेता था और खूब धमाल मचा रहता था ! अब उन्हीं दिनों की मीठी-मीठी यादें दिलों में संजोये सब अपने-अपने ठिकानों पर हैं ! नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकार करें !
वे सब अपने परिवार में सुखी रहें ,और हम लोग यह सोच कर संतुष्ट हों कि हमने अपना कर्तव्य पूरा किया और हमानी संतानें सानन्द हैं!
याद तो आयेगी ,बीते दिन कहाँ लौटे हैं कभी .
नव-वर्ष मंगलमय हो !
बिलकुल सही
बीता हुवा समय नहीं लौटता ... बस कुछ यादें दिल को सालती रहती हैं ...
आपको २०१३ मंगलमय हो ...
सभी बेटियों के मन की बात कह दी आपने शादी के बाद फिर कहाँ ऐसा मौका मिल पाता है की सभी बच्चे एक साथ फिर गए वक्त की तरह बैठकर समय गुज़ार सकें। उसके बाद तो फिर यही जुमला याद आता है की "दिल बहलाने के लिए ग़ालिब ख़्याल अच्छा है" :)
एक टिप्पणी भेजें