गरीबी खुद एक इल्जाम है क्योंकि उसको ईश्वर ने बनाया ही इसलिए है कि जो गरीब है भले ही ईमानदार हो उसको चोर , बेईमान और गिरा हुआ कहने का सबको अधिकार प्राप्त होता है और बेकुसूर को दो चार हाथ लगाकर अपने हाथ साफ करने का मौका भी सबको ऊपरवाला दे ही देता है।
पिछले दिनों की बात है एक भव्य शादी समारोह था, करीब हजार लोग तो उसमें शामिल हुए ही होंगे। उसमें एक गरीब बच्चा घुस कर खाना खाने लगा। अभी ठीक से खा भी नहीं पाया था कि किसी की उसपर नजर पड़ गयी और फिर क्या था? उस बच्चे को रस्सी से बांध कर जीप के पीछे बाँध कर मैदान में घसीटा गया और जब वह बच्चा लहूलुहान हो गया तो कुछ समझदार कहे जाने वाले लोगों ने उसको छुड़ाया और अस्पताल पहुँचाया। पेट की भूख ही तो थी जिसने उसको उस स्थान पर जाने के लिए मजबूर किया । क्या उन घसीटने वालों ने उन प्लेटों को देखा जो पूरी पूरी भरी हुई डस्टबिन में डाल दी गयीं थी। उन में जितना खाना बर्बाद हुआ था उसमें उस जैसे कई सौ बच्चे खाना खा सकते थे लेकिन नहीं उस बच्चे को अपने अपराध की इतनी बड़ी सजा मिल गयी कि शायद वह इस जन्म में तो ऐसा कोई काम करेगा नहीं।
बड़े घरों की बात कहें उन्हें चाहिए होती हें गरीब लड़कियाँ जो २४ घंटे उनके घर में काम करें और अगर उन घरों के लड़के अपने शौक को पूरा करने के लिए अलमारी से रुपये उड़ा कर ले जाता है तो इल्जाम इन नौकरानियों पर ही आता है क्योंकि वे गरीब जो ठहरी। बड़े घर के बच्चे तो अपराध कर ही नहीं सकते हें । जब आज अच्छे घरों के लड़के ही बाइक पर घूमते हुए अपराधों के जनक बन रहे हें। उनके लिए ये शगल है क्योंकि बाइक भागना कोई कठिन काम नहीं और फिर एक दो आवारा दोस्तों को साथ लेकर ऐश करने के लिए कुछ तो मिल ही जाता है।
एक उद्योगपति घराने की बात करती हूँ वहाँ पर मेहमानों के लिए चाँदी के बर्तन खाने के लिए प्रयोग किये जाते हें और ऐसे ही एक दिन उसमें से एक गिलास गायब हो गया। चोर को पकड़ना बहुत ही मुश्किल होता है और कुछ तो परम विश्वास पात्र होते हें। घर में काम करने वाले नौकरों की पूरी फौज के वेतन से पैसे काट लिए गए। शायद उस गिलास की कीमत से ज्यादा। वह घराना अपने बेटे के स्वास्थ्य की समय के लिए प्रतिदिन हजारों रुपये खर्च कर रहा था। वे गरीब जिनके वेतन से रुपये कटने के बाद इतना भी नहीं मिला कि वे अपने बच्चों के लिए महीने भर का खाना भी जुटा सकें। लेकिन ये तो उनके भाग्य की विडम्बना ही कही जायेगी न कि वे गरीब हें। और गरीबी खुद में एक इल्जाम है।
7 टिप्पणियां:
उफ़ ...ये ऊँचे घरों में रहने वालों के दिल सच में बहुत छोटे होते हैं.
गरीबी कोई इलजाम नही बल्कि कुछ लालची लोगो की देन हे, जो इन गरीबो का हक मार कर खुद को अमीर कहते हे...
गरीबी खुद एक इल्जाम है क्योंकि उसको ईश्वर ने बनाया ही इसलिए है कि जो गरीब है भले ही ईमानदार हो उसको चोर , बेईमान और गिरा हुआ कहने का सबको अधिकार प्राप्त होता है और बेकुसूर को दो चार हाथ लगाकर अपने हाथ साफ करने का मौका भी सबको ऊपरवाला दे ही देता है....
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वास्तविकता से भरा आलेख!
यही आज की सच्चाई है!
is iljam ko kata kar hame khud ek naya rasta talashana chahie.
गरीबी खुद में बहुत बड़ा अभिशाप हैं ...
समाज की विसंगतियों को सामने लाती प्रेरक पोस्ट।
ये इस तरह के अमीर लोग इन गरीबोँ के हको को मारकर ही अमीर हुए होते हैँ।
इन्हेँ शायद रोटियोँ के चन्द टुकड़े भी नसीब न होँ अगर ये गरीबोँ के निवाले न छीनेँ तो । ये गरीबोँ के निवालोँ से ही पलते हैँ। इनके मस्तिष्क मेँ जो विचार आते है वो सिर्फ और सिर्फ लूटने-खसोटने वाले ही आते हैँ तो ये गरीबोँ को निबाल कैसे खा लेने देगेँ।
बहुत ही शानदार लेखन के लिए आभार रेखा जी ।
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