बेटी पराया धन किस लिए कहा जाता है कि उसको घर में हमेशा नहीं रखा जा सकता है बल्कि एक सुयोग्य वर को उसका हाथ देकर कन्यादान किया तो अपना हक़ उसपर से ख़त्म हो जाता है। ऐसा ही कहा जाता है लेकिन मुझे लगा कि बेटी या बेटा विवाह के बाद उनकी एक अपनी दुनियाँ तो बस ही जाती है लेकिन बेटी के बदले में एक बेटा भी मिल जाता है और बेटे के साथ एक बेटी, जैसे कि मैंने पाया है।
पारम्परिक परिवार होने के नाते एक महाराष्ट्रिय ब्राह्मण परिवार में बेटी को देने की बात पर सभी ने नाक भौं तो सिकोड़ी थी लेकिन मेरे पास विवाह के लिए सजातीय योग्य वर खरीदने लायक पर्याप्त धन न था। या कहो कि बेटी भी दहेज़ देकर वर खरीदने के लिए कतई तैयार न थी। इसलिए सुयोग्य वर जहाँ भी मिला उसको अपना बना लिया। मेरा दामाद पवन कुलकर्णी पुर्तगाल में पर्यावरण भौतिकी में पोस्ट डॉक्टरेट फेलो है और बेटी फिजियोथेरापिस्ट ।
एक सबसे बड़ी बात और अनुभव यह रहा है कि हमारे उत्तर भारत में लड़की का पिता हमेशा बेचारा ही बना रहता है लेकिन महाराष्ट्र से जुड़ने पर लगा कि वहाँ दोनों का सम्मान बराबर है। एक नया अनुभव मिला जो इससे पहले तो नहीं मिला था। कुल मिला कर सब कुछ बहुत अच्छा ही रहा। इसके लिए नागपुर के कुलकर्णी, भांगे और बारहाते परिवार के पूर्ण सहयोग से हम लोग इस विवाह कार्य को सम्पन्न करने में सफल हो सके।
इस अवसर पर अपनी शुभकामनाएं भेजने वाले सभी ब्लोगर साथियों को मेरा हार्दिक धन्यवाद। इस कार्य के कानपुर में सम्पन्न समारोह में महफूज की उपस्थिति ने सब लोगों का प्रतिनिधित्व किया। इसके लिए उसको बहुत बहुत धन्यवाद।
23 टिप्पणियां:
बधाई तो आप को दे ही चुके हैं.अब नवल युगल के सुनहरे भविष्य की दुआएं हैं.
और आपका ब्लॉग जगत में पुन: स्वागत.
रेखा जी बेटी की शादी की ढेरों बधाइयाँ...लड़का किसी भी प्रदेश या जाती का क्यूँ न हो अगर वो सभ्य है सुशील है तो फिर कोई फर्क नहीं पड़ता के वो कहाँ का है...असभ्य और गंवार सजातीय से तो लाख गुना बेहतर है...आप का ये कदम समाज के लिए प्रेरक है...हमारी और से बिटिया को दीर्घ एवम सुखी वैवाहिक जीवन की शुभकामनाएं.
नीरज
नीरज जी,
बहुत बहुत धन्यवाद. अपने इस निर्णय के लिए मैंने कटाक्ष भी सुने लेकिन जब सब दामाद से रूबरू हुए तो तारीफ किये बिना न रह सके. वैसे जीवन सुखमय हो मेरी यही कामना है.
आप को बिटिया की शादी की बहुत बहुत बधाई, ओर दोनो बच्चो को हमारा आशिर्वाद, रेखा जी लडका, लडकी किसी भी जात, किसी भी प्रदेश की हो बस मन मिलना चहिये ओर बच्चो मे अच्छे संस्कार होने चाहिये, बहुत अच्छा लगा यह पढ कर, वैसे तो बिटिया अब हमारे पडोस ( पुर्तगाल )मे आ गई हे, हमारे से दुर भी नही जब आप बिटिया से मिलने आये या बिटिया को आप की याद आये तो हमारे घर आ सकती हे, उसे अपने घर क माहोल ही मिलेगा.
बधाई और नव दंपत्ति को हार्दिक शुभकामनायें!
रेखाजी...दोनो बच्चों को नए जीवन की शुरुआत के लिए ढेरों शुभकामनाएँ और आपको बहुत बहुत बधाई...हम अच्छे इंसान है और एक दूसरे के लिए प्यार सम्मान है तो फिर इससे अच्छी बात ही नहीं हो सकती...
रेखा जी बेटी की शादी की ढेरों बधाइयाँ………दोनो बच्चों को हमारा आशीर्वाद्………आपने एक बेहद सराहनीय कदम उठाया है और साथ ही सबका मार्गदर्शन भी किया इस पोस्ट के माध्यम से…………सबसे बडी बात होती है कि बच्चो का वैवाहिक जीवन सुखी रहे और यदि वे सुखी तो माता पिता सुखी और फिर चाहिये क्या………ये धर्म जाति तो हम लोगो के बनाये हैं……………बच्चो का वैवाहिक जीवन सुखद और भविष्य उज्जवल हो यही कामना करती हूँ।
बिटिया को सुखी वैवाहिक जीवन की शुभकामनाएं.
हार्दिक शुभकामनायें .... आपका और आपकी बेटी का निर्णय और सोच दोनों सम्मान करने योग्य हैं .....
बहुत बहुत बधाई.. बच्चों को सुखद भविष्य के लिए अनेक शुभाषीश!!!.
हृदय-प्रेम-गंगा बहे, खुशियाँ अपरम्पार ,
जीवन के हर मोड़ पर सपने हों साकार !
बधाई और ढेरो शुभकामनाएं !
Rekha di!! bahut bahut badhai... sasu amma banane ke liye:). nav-dampati ko bahut bahut shubhkamnayen.. !
dono baccho ko dil se aashirwaad
shubh aashish
राज जी,
आपका आमंत्रण उन तक जरूर पहुंचा दूँगी, वैसे परदेश में अपने देश की माटी भी अच्छी और अपनी लगती है फिर आप तो अपने आत्मीय लोगों में हें वैसे उन दोनों से मिलकर आपको निराशा नहीं होगी बहुत ही मिलनसार और स्नेही प्राणी हें.
आप सभी लोगों को बहुत बहुत धन्यवाद , आप सबकी की मंगलकामनाएं उनके लिए भावी जीवन के लिए बहुत बड़ी नियामत हें.
बेटी के विवाह और दामाद के रूप में बेटा प्राप्त करने के लिए बहुत बहुत बधाई। नवदम्पति को शुभकामनाएं।
*
रेखा जी, आपकी यह पंक्ति ' लेकिन मेरे पास विवाह के लिए सजातीय योग्य वर खरीदने लायक पर्याप्त धन न था।' समझ नहीं आई। क्या आप सचमुच सजातीय वर 'खरीदना' चाहती थीं। अगर आपके पास पर्याप्त धन होता तो क्या आप यह करतीं।
आप जिस तरह का लेखन करती रहीं हैं,उसे देखते हुए आपकी कलम से यह पंक्ति पढ़कर आश्चर्य हुआ।
आदरणीय रेखा जी
नमस्कार
.... बेटी की शादी की ढेरों बधाइयाँ सुखी वैवाहिक जीवन की शुभकामनाएं !
शादी की ढेरों बधाइयाँ
नहीं राजेश जी, दामाद खरीदने का कभी कोई इरादा था ही नहीं, ऐसा नहीं है मैंने भी पहले यही सोचा कि योग्य सजातीय वर मिल जाये तो बेहतर है लेकिन अंतरजातीय से मुझे कभी परहेज नहीं था. हाँ घर और परिवार वालों की इच्छा यही थी कि सजातीय हो. लेकिन मेरी इच्छा के अनुरुप तो मेरी बस योग्यता और मानसिक स्तर बेटी के स्तर का होना मेरी पहली प्राथमिकता थी. जो मुझे मिल गयी.
ढेरों बधाइयाँ रेखा जी बेटी के विवाह पर. नव युगल को शुभाशीष.
rekha
naa aapne kaa dukh haen
khul kar apni baat ko tumnae saarvjanik manch par kehaa ki aaj bhi up me ladkaa kharida hi jaataa haen is kae liyae tum badhaii ki paatr ho
bahut kam log saharsh yae kartae haen jo tumnae kiyaa , jyadaa tar paesae kaa jugaad kartae haen
bitiyaa parayadhan nahin hotii haen wo jamaa punji hotii haen jisko maa kewal jamaa kar saktee haen kharid baech nahin saktee
ishwar sae prarthna haen wo apni sasural kae liyae bhi beti hi sabit ho aur tumko
baeta mil gyaa is par sakdo badhaii
ssneh
rachna
रचना तुमने सही कहा है, मैंने जब पवन के लिए सोचा था तब उसके बारे में कुछ न जानती थी. आज बता रही हूँ कि यह वह बेटा है जिसने अपने पिता को ५ साल की आयु में खो दिया था. माँ का संघर्ष और खुद उसने बहुत छोटे से ट्यूशन लेनी शुरू की और अपने लक्ष्य को निश्चित करके चला था कि मुझे इसी दिशा में जाना है. अपनी परिश्रम और लगन के बल पर यहाँ तक पहुंचा .शादी से पहले ही उसको टर्की में "यंग साइंटिस्ट अवार्ड ' मिला. सही मायनों में जैसे आदर्शों का मैंने पालन किया था उसका प्रतिफल शायद इस रूप में मुझे मिला.
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
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