आज समाज में बलात्कार की घटनाएँ दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैं, इसमें दोष किसे दें? उन लड़कियोंको जो इसका शिकार हो रही हैं या फिर उन पुरुषों को जो अपनी बहशियत में पागल होकर इन मासूमों को अपनाशिकार बना रहे हैं। जिन्हें मार दिया - उनके माँ बाप भाग्यशाली है क्योंकि बलात्कार की शिकार बेटी को लेकर समाजके कटाक्षों का सामना तो नहीं करना पड़ता है और वह लड़की उससे भी अधिक भाग्यशाली है क्योंकि इस समाज की हेय दृष्टि वह बेकुसूर होते हुए भी कब तक सहन कर सकती है? वे हेय दृष्टि से नहीं देखे जाते हैं जो ऐसे कुकृत्यों कोअंजाम देते हैं क्योंकि ये या तो उनकी फिदरत में शामिल है और ये लोग या तो रईस बाप की बिगड़ी हुई संतान है याफिर दबंग कहे जाने वाले अपराधी प्रवृति के लोग । इन सबके १०० खून माफ होते हैं क्योंकि पुलिस इनके पैसे पर ऐशकरती है और इनके दरवाजे पर हाजिरी लगाने आती है।
पिछले दिनों अपनी मूक बधिर बलात्कार की शिकार बेटी के बच्चे को स्कूल में नाम लिखने के लिए एकपिता गया तो उससे बच्चे के पिता का नाम पूछा गया और न बता पाने पर उसको लौटा दिया गया। बाप ने बेटी कोसमझाया तो वह चीख चीख कर रोने लगी क्योंकि यह संतान उसके बलात्कार के शिकार का ही परिणाम थी और उसेएक नहीं कई लोगों ने बलात्कार का शिकार बनाया था। वह किसका नाम ले ये तो उसको भी पता नहीं है।
इतना ही नहीं बल्कि इस बलात्कार की शिकार लड़की को गाँव से बाहर निकाल दिया गया क्योंकि पूरागाँव उन दबंगों के खिलाफ बोल नहीं सकता है अतः दोषी इसी को बना दिया गया। उस गूंगी और बहरी लड़की ने जिसबच्चे को जन्म दिया उसके लिए ये सबसे बड़ा प्रश्न है? ऐसे एक नहीं कई किस्से हो सकते हैं लेकिन कुछ ही घटनाएँऐसे बन जाती हैं की सोचने के लिए मजबूर कर देती हैं। ये उसका साहस की उसने चुनौती दी उन लोगों को जिन्होंनेउसे अपनी हवस का शिकार बनाया लेकिन अब?
इस अब के लिए अब सोचना होगा , कौन सोचेगा? ये समाज, हम, कानून या फिर हमारी सरकार? येप्रक्रिया इतनी आसान भी नहीं है, ऐसे बच्चों को पिता का नाम देने के लिए विकल्प सोचना होगा क्योंकि ऐसीलड़कियाँ या महिलाएं इन बलात्कारियों का नाम अपने बच्चे को दें यह उनके लिए अपमान होगा। अब कानून कीनजर में अगर बाप का नाम जरूरी है तो फिर ये क्या करें? हमें इसका विकल्प कोई भी सुझा सकता है। एक बाप केनाम को पाने के लिए या फिर अपनी अस्तित्व को स्वीकार करने के लिए ऐसे बच्चे खुद क्या लड़ पायेंगे? रोहितशेखर जैसे लड़के इसके लिए लड़ रहे हैं और फिर उसके द्वारा किये गए दावे के लिए जिम्मेदार लोग उससे भाग रहे हैंक्यों ? इसलिए कि उनकी प्रतिष्ठा का सवाल है और ये सौ प्रतिशत सच है कि अगर वह दोषी न होता तो उसको डी एनए टेस्ट कराने में कोई भी आपत्ति न होती।
वह तो मामला ही इतर है , लेकिन ऐसे बच्चे के लिए क़ानून के द्वारा माँ का नाम ही काफी होना चाहिए। जोजीवित है उसका नाम दें। पिता का नाम माँ के अतिरिक्त कोई नहीं बता सकता और फिर ऐसे मामले में तो कोई पिताकहा ही नहीं जा सकता है। ऐसे लोग क्या डी एन ए टेस्ट करने की चुनौती दें और फिर बच्चे को दाखिला दिलाएं। अबआवाज ऐसे ही उठाई जानी चाहिए कि ऐसे मामलों में पिता का नाम न हो तो उसको माँ के नाम के आधार पर शिक्षासंस्थानों में प्रवेश दिया जाना चाहिए। इस बात के लिए एक लम्बी लड़ाई लड़नी होगी क्योंकि ऐसा काम आसान नहींहै और फिर इसको अब सोचने का एक मुद्दा तो मिल ही गया है। अब आप भी कहें की क्या मेरी ये सोच गलत है? याफिर इस पर विचार किया जाना चाहिए।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
9 टिप्पणियां:
रेखा जी कल ही इस विषय पर किसी से चर्चा हो रही थी.मुद्दा था कि भारत में लडकियां अपने पति का उपनाम अपनाना अपना सौभाग्य समझती हैं.शायद यह भी एक वजह हो.
मुझे तो समझ में नहीं आता कि बच्चा नाजायज क्यों कहलाता है? नाजायज तो पिता कहलाना चाहिए.
और बच्चे के लिए सिर्फ माँ का नाम ही काफी होना चाहिए जैसा कि पश्चिमी देशों में होता है.
सही मुद्दा उठाया है आपने. पुरुष प्रधान समाज में स्त्रियों को अपने हक के लिए हर जगह लड़ना ही पड़ेगा.
लेकिन मेरी जानकारी में तो अब माँ का नाम भी चलता है। आप किसी कानूनविद से पूछे।
MERE KHYAL SE BLATKARIYO KO SAJA-E-MOUT MILNI CHAHIYE. . JISSE KOI OR ESA GALAT KAAM KARNE KA SAHAS NA KAR SAKE. BLATKAR KI SIKAR MAHILA KO ADHIKANS PURUSH VARG GANDI NAJRO SE DEKHTE HAIN OR APMANIT KARTE HAI JO KI UNKI VIKART MANSIKTA KI SUCHAK HAI. UN LADKIYO KA INSME KYA DOSH HAI? YE BAAT WO LOG NAHI SOCHTE. . . KUCH SAMAJ KA DAR OR KUCH PARIWAR KI IJJAT
AAKHR KYUN SAMAJ KE DAR KE KARAN IN MAHILAO KO SIKAYAT NAHI KARNE DI JATI? TAB YE SAMAJ KAHA JATA HAI JAB EK ABLA KI IJJAT KE SATH KHILWAD HOTA HAI?
JAB TAK KOI KATHOR KANUN NAHI BANEGA YE SILSILA CHALA RAHEGA, OR NA JANE KITNI LADKIYO KO JINDA LASH KI TARAH JINA PADEGA. . ,
JAI HIND JAI BHARAT
आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र . (अब तो चवन्नी बराबर भी नहीं हमारी हैसियत)
बहुत अच्छा मुद्दा उठाया आपने ------- बहुत ही सार्थक और सारगर्भित पोस्ट.
bhut hi sarthak post... aur samaj ka kadwa such yahi h....
एक टिप्पणी भेजें