आज जब कि हर किसी कोर्स के लिए प्रवेश परीक्षाएं होने लगी हैं और दूसरे दिन जब देखते हैं तो पता चलता है कि इतने मुन्ना भाई पकड़े गए और उनको जेल में डाल दिया गया। यहाँ मुन्ना भाई बनने वालों का दर्द और उनकी मजबूरी किसी ने नहीं समझी और उन्हें जेल में डाल दिया गया।
एक परीक्षा में बैठे मुन्ना भाई से पता चला कि उसको आँत की कोई बीमारी है और उसके इलाज के लिए २० हजार रुपये मिल जाना बहुत बड़ी बात है, इसलिए उसने किसी और की जगह पर परीक्षा देना स्वीकार कर लिया और फिर पकड़ा गया। वह पेशेवर मुन्ना भाई नहीं था। नहीं तो वह २० हजार में नहीं बिकता। ये खेल तो इंजीनियरिंग कॉलेज में भी चलता है। वहाँ पढ़ने वाले छात्रों को खरीद लिया जाता है और वे परीक्षा दे आते हैं। कभी ये सोचा है कि इसके लिए वाकई दोषी कौन है? वे बच्चे जो पैसे के लालच में बिक जाते हैं या फिर वे पैसे वाले लोग जो अपने नाकारा बेटों के लिए (बेटियों के लिए कोई ये काम नहीं करेगा और अगर करे भी तो शायद बेटियाँ स्वीकार न करेंगी।) कितना भी पैसा खर्च करके मुन्ना भाई खरीद लेते हैं और मुन्ना भाई वे बिचारे ठगे जाते हैं उन ठेकेदारों के हाथ जिनका ये धंधा है कि वे पैसे वालों से कई गुण ज्यादा पैसा लेकर मुन्ना भाई को उसकी स्थिति के अनुसार पैसे देकर खरीद लेते हैं और बाकी उनकी अपनी जेब में जाता है। फिर पकड़े भी वही मुन्ना भाई जाते हैं।
कभी मुन्ना भाइयों के खिलाफ ये मुहिम छेदने वालों ने ये सोचा है कि पकड़ा किसे जाना चाहिए? इसमें पकड़ा उन्हें जाना चाहिए जो वाकई इसके गुनाहगार हैं। उन माँ बाप को पकड़ा जाना चाहिए जो अपने बच्चों के लिए इन्हें खरीदने के लिए तैयार होते हैं और फिर उन दलालों को जो इसको पेशा बना कर लाखों रुपये कमा रहे हैं। जब तक ये दलाल बने रहेंगे , तब तक मुन्ना भाइयों का अंत हो ही नहीं सकता है और वे अपनी मजबूरी में बिकते रहेंगे। इसके लिए कभी सोचा जाता है कि क्यों ऐसा हो रहा है? नहीं इसको सोचने के लिए किसी के पास फुरसत ही कहाँ है? मेधावी छात्र जो अपनी मेधा के साथ भी आज भी बेकार घूम रहे हैं , उन्हें पैसा कहाँ से मिलेगा वे अपनी मेधा बेच रहे हैं क्योंकि हमारे देश में उनकी मेधा का उपयोग नहीं हो पा रहा है। वे जायेंगे हर हाल में अपराध की ओर ही क्योंकि हमारे यहाँ मेधा की नहीं बल्कि कुछ विशेष श्रेणियों की जरूरत होती है जिससे उनके भविष्य सुरक्षित हो सके।
इन मुन्ना भाइयों पर अंकुश लगाने के लिए पहले दलालों और फिर उन अभिभावकों को भी अन्दर करना चाहिए जो इस खरीद-फ़रोख्त के असली नायक हैं। शायद पुलिस उन पर हाथ न डाल सके क्योंकि यहाँ क़ानून तो सिर्फ मुन्ना भाइयों के लिए ही बना है उन्हें मुन्ना भाई बनाने वालों के लिए कोई भी सजा नहीं है। इसी को कहते हैं अंधेर नगरी चौपट राजा।
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7 टिप्पणियां:
अंधेर नगरी चौपट राजा!
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तन से हिन्दुस्तानी हूँ, लेकिन मन गोरा मम्मी जी!
इसीलिए तो उछल रहा है, चप्पल-जूता मम्मी जी!!
अपनी सभ्य-सुसंस्कृत भाषा, नहीं बोल मैं पाता हूँ
अंग्रेजों की जूठन को तो, बहुत चाव से खाता हूँ,
आँख मूँदकर, तोता बनकर रटता जाता मम्मी जी!
इसीलिए तो उछल रहा है, चप्पल-जूता मम्मी जी!!
http://uchcharan.blogspot.com/2011/06/blog-post_07.html
पहले दलालों और फिर उन अभिभावकों को भी अन्दर करना चाहिए
100% sahmat....
गलत बात जल्दी सीख लेते हैं ... हद है ..
आप से सहमत हे जी,दलालो ओर बच्चो के मां बाप को पकडना चाहिये यह मुन्ना भाई तो मजबूरी मे करते होंगे यह काम. धन्यवाद
burai ki jad jaldi hi panp jaati hai ,aur jameen ko majbooti se pakad leti hai ,ukharne me badi mehnat lagti hai .isliye aese beej na bo jaaye to behtar hai ,sundar lekh
आप की बात से सहमत हूँ| धन्यवाद|
वाकई उन्हें पकड़ा जाना चाहिए जो इसके गुनाहगार हैं।
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