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                                                   सम्मान!
असद ने नेट से देखा कि नवरात्रि की पूजा में क्या-क्या सामान लगता है और जाकर बाजार से खरीद लाया।
             वह बिंदु के आने का बेसब्री से इंतजार रहा था और समय है कि कट नहीं रहा था। वह आँखें बंद करके लेट गया और अतीत में घूमने लगा। 
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 साल से वह अरब में था और बिंदु यहाँ एक ऑफिस में संविदा पर नौकरी कर रही 
थी। उनका परिचय फेसबुक से हुआ था। अहद वहाँ अकेला और बिंदु सबके होते हुए 
भी अकेली थी। वे एक दूसरे के दुःख को महसूस करने लगे थे। असद वहाँ कमा रहा था और घर वाले ऐश कर रहे थे।  
           अचानक असद के अब्बू का 
इंतकाल हो गया और वह घर लौट आया।  सब कुछ दूर रहते भी उन लोगों ने तय कर दिया था कि 
बिना किसी को खबर दिए दोनों ने कोर्ट मैरिज कर लेंगे। एक अप्रत्याशित निर्णय था।  
          उसे विश्वास था कि उसके घर वाले तो मान ही जायेंगे क्योंकि घर को इतना संपन्न उसकी कमाई से ही बना लिया है।  लेकिन घर में सवाल उठाते ही - अम्मी ने कह दिया कि वह ऐसे किसी भी कदम से उसको जायदाद से बेदखल कर देगी क्योंकि सारा कुछ तो अब्बू के नाम ही था। 
             उसने बिंदु के घर जाकर 
शादी की  बात करनी चाही तो बिंदु के घरवालों उसका नाम सुनते ही बेइज्जती 
करके निकाल दिया। उसको लव जेहाद में फँसाने की धमकी भी दी गयी। छह महीने मामला संभालने की कोशिश की और इंतजार किया।  आखिर में बिंदु ने वहाँ से घर छोड़कर अपना घर बनाने का निर्णय ले लिया। पहले दिन अपने घर जा 
रही थी। 
        बिंदु के आने की आहट सुनकर उसकी तन्द्रा टूटी। उसने दरवाजा खोलकर झुकते हुए बिंदु का इस्तकबाल किया। 
 
      बिंदु ने घर में घुसते हुए एक अलमारी में लाल चुनरी नारियल देवीजी 
की फोटो देखी। उसने असद की ओर मुड़ते हुए पूछा - "ये क्या है?" 
 "तुम्हारी
 पूजा का सामान क्योंकि मैं चाहता हूं कि तुमने मेरे लिए घर छोड़ा है लेकिन
 जो संस्कार खून में बसे हैं , उनकी मैं इज्जत करता हूँ । तुम अपनी पूजा 
जारी रखना इसी में हमारी खुशी है। 
         उनके घर में दुर्गा सप्तशती और कुरान एक साथ रखे थे। 
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4 टिप्पणियां:
हृदयस्पर्शी
सादर
सुन्दर
बहुत खूबसूरत सृजन!
मार्मिक अभिव्यक्ति
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