विधि!
कुछ नाम और कुछ किरदार इस जगत में इस तरह बनकर आता है कि अपनी भूमिका निभाते हुए फिर कहीं गुम हो जाते है। उस किरदार को कुछ दिन याद रखा जाता है और फिर वह भुला दिया जाता है लेकिन कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो बार बार जेहन में एक प्रश्न की तरह से उभरते ही रहते हैं।
उनमें एक विधि भी थी, थी इस लिए क्योंकि वह इस पटल से ही नहीं बल्कि अपने सभी मित्रों और परिचितों के लिए भी कहीं विलीन हो चुकी थी और तभी तो बार बार याद आती है। वह असाधारण थी - रंग रूप और गुणों से भी जिसे कहते हैं सर्वगुण सम्पन्न वह थी ऐसी ही। सोशल मीडिया पर भी खासी लोकप्रिय थी क्योंकि उसकी कला ही उसकी पहचान थी। उसकी शिक्षा भी उसको बहुमुखी गुणों से संपन्न बना चुकी थी। वह संविदा पर संस्थान में कार्य कर रही थी और उसके ज्ञान के कारण ही उसको एक विभाग से दूसरे विभाग में पद मिल जाता था। उसके लिए काम कभी ख़त्म ही नहीं हुआ।
विधि के माता-पिता ने अपनी तरफ से उसके लिए सुयोग्य वर
खोज लिया, जो कि पहले से ही कुछ परिचित भी था। उसके पिता विधि के पिता के
बचपन के सहपाठी थे, जो अपनी संपत्ति के साथ गाँव में ही रहे और विधि के पिता उच्चशिक्षा और नौकरी के लिए बाहर आ गए।
अंशुल भी उच्च शिक्षा प्राप्त इंजीनियर था लेकिन
वह शीघ्र शोध के लिए बाहर जाने वाला था। सबको यह था कि अगर वह बाहर जाएगा
तब भी कोई समस्या नहीं क्योंकि विधि अच्छी जगह नौकरी कर रही थी। उनकी शादी
कर दी गई और शादी के 6 महीने के भीतर ही अंशुल की यू एस जाने की
औपचारिकताएँ पूरी हो गईं। इस बीच विधि गर्भवती हो चुकी थी। उनके आपसी
समझौते के अनुसार विधि ने नौकरी नहीं छोड़ी और वह वहीं एक हॉस्टल में रहने
लगी। जैसे-जैसे डिलीवरी का समय समीप पा रहा था, विधि के माता-पिता उसको
लेकर चिंतित हुए और इसी बीच अंशुल का संदेश आया कि उसको अब नौकरी छोड़कर
माँ के पास गाँव चली जाना चाहिए।
विधि अपनी
नौकरी छोड़कर गाँव चली गई, वहीं पर उसने बेटे को जन्म दिया। उसको यह नहीं
पता था कि अंशुल का परिवार एक बहुत दकियानूसी परिवार है। इसीलिए दकियानूसी
के चलते विधि को सामंजस्य बिठाने में परेशानी आने लगी। उसने अपने पिता को
बुलाया उसके सारे हालत देखते हुए उसके पिता ने विधि को अपने साथ ले जाने का
प्रस्ताव रखा, जो उसके सास ससुर को अच्छा नहीं लगा। गाँव में कुछ दिन रहने
की बात तो सही थी, लेकिन लंबे समय तक रहना उसके लिए संभव नहीं था और वह
अपने पिता के साथ अपने घर आ गई। अंशुल के घर वालों ने अंशुल से क्या? ये
नहीं मालूम लेकिन अंशुल ने विधि से कहा कि उसको गाँव में ही रहना होगा।
विधि कोई बगैर पढ़ी-लिखी या पराश्रित लड़की नहीं थी। उसने अपने लिए यू एस की
टिकट करवाई और वह विजिटर्स वीजा लेकर अंशुल के पास पहुँच गई। अंशुल को यह
अच्छा नहीं लगा लेकिन वह वहाँ कुछ कर भी नहीं सकता था। 3 महीने वह वहाँ
रही। उसने अपना वीजा अंशुल के बेस पर बढ़ाने का प्रयास किया लेकिन वह सफल
नहीं हो पायी और फिर तुरंत ही उसको वहाँ से वापस आना पड़ा।
उसने क्या देखा
और क्या समझा यह नहीं मालूम? लेकिन उसने वापस गाँव जाने से इंकार कर दिया है
और अपनी नौकरी के लिए फिर से प्रयास करने लगी। यह बात अंशुल के घरवालों को
समझ नहीं आई। विधि के घरवालों ने भी बीच का रास्ता निकालने की बात सोची
कि छुट्टियों में विधि अपनी ससुराल चली जाएगी और नौकरी के समय उसके बच्चे
को माँ देखती थी और वह जॉब करती रहती थी।
फिर एकाएक क्या हुआ कि विधि
अपने परिचय के दायरे से और सोशल मीडिया से एकदम गायब हो गई। उसने नौकरी भी
छोड़ दी और कहीं कोई भी संदेश उसने नहीं छोड़ा। उसके ऑफिस वाले उसके सहयोगी,
सहकर्मी और मित्र मंडली एकाएक सकते में आ गई कि आखिर इतनी सामाजिक और
लोकप्रिय विधि अचानक चली कहाँ गई? कुछ लोगों ने इस बारे में जानने की
कोशिश की तो पता चला कि अंशुल वहाँ से डिग्री लेकर वापस आ गया था और उसने
एक जगह अच्छी नौकरी भी पा ली थी, लेकिन विधि उसके साथ नहीं गई थी या कहे वह
विधि को अपने साथ नहीं ले गया। उसकी जिद थी कि विधि सब कुछ छोड़कर उसके
माता-पिता के पास गाँव में रहेगी, जो शायद विधि के माता-पिता को स्वीकार
नहीं हुआ और बच्चों का भविष्य देखते हुए वह विधि को अपने साथ ले आए।
उन्होंने अंशुल से संपर्क किया और बीच का रास्ता निकालने का आग्रह किया।
उसका हल यही निकला कि विधि एक पारंपरिक बहू पत्नी बनकर घर पर ही रहेगी और
फिर उसने सबसे संपर्क खत्म करवा दिया। उड़ते उड़ते यह भी खबर मिली कि विधि
अब अपने पति के पास चली गई है लेकिन एक प्रतिभावान व्यक्तित्व की हत्या हो
चुकी थी , जिसकी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी कि एक सुसंस्कृत परिवार की
बेटी स्वस्थापित व्यक्तित्व अपना वज़ूद खो देगा। उसका पता अब भी कम से कम
मित्र वर्ग में किसी को नही है। माँ बाप बता देते हैं कि अब अपने पति के
साथ है।
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