ये कहानी कुछ समय पुरानी है , लेकिन सच है और पता नहीं क्यों मुझे लगता है कि साल में एक बार पितृ पक्ष में इसको जरूर पब्लिश करूँ।
पंडित जी श्राद्ध करवा रहे थे कि जजमान के बड़े भाई का नौकर आया और बोला, "पंडित जी, साहब बुलाये है।"
पंडित जी श्राद्ध करवा रहे थे कि जजमान के बड़े भाई का नौकर आया और बोला, "पंडित जी, साहब बुलाये है।"
"आवत हैं, जा श्राद्ध तो पूरा करवाय दें।"
पंडित जी आश्चर्य में ! ‘आज तक तो कभी बड़े भाई ने कथा वार्ता भी नहीं करी, आज अचानक कौन सो काम आय गयो!’
पंडित
जी तो इनके पिताजी के ज़माने से पूजा पाठ करवा रहे हैं सो सब जानते हैं।
छोटे भाई और बड़े भाई दोनों विरोधाभासी है। एक सरकारी मुलाजिम - गाड़ी बंगले
वाला और अमीर घराने की पत्नी वाला। दूसरा अपने काम धंधे वाला - साधारण
रहन सहन , पढ़ी लिखी पत्नी लेकिन बड़े घर की नहीं। सास ससुर के साथ ही रही
और उनका बुढ़ापा संवार दिया। दोनों में कोई मेल नहीं!
पंडित जी पहुंचे तो साहब ऑफिस के लिए तैयार।
"क्या पंडित जी, अब आये हैं आप मुझे तो ऑफिस कि जल्दी है।"
"श्राद्ध छोड़ कर तो आ नईं सकत ते , खाना छोड़ कें आय गए।"
"मैं भी श्राद्ध करवाना चाहता हूँ, बतलाइए कि क्या करना होगा?"
"जजमान
श्राद्ध करवाओ नहीं जात, खुदई करने पड़त है। फिर जा साल तो हो नहीं सकत
काये कि आजई तुम्हारे पिताजी के तिथि हती। माताजी की नवमी को होत है।"
"कोई ऐसा रास्ता नहीं कि सब की एक साथ ही हो जाए।"
"हाँ, अमावस है , वामें सबई पुरखा शामिल होत हैं।"
"उसी दिन सबकी करवा लूँगा एक साथ।"
"लेकिन व तो उनके लाने होत है , जिन्हें अपने पुरखन के तिथि न मालूम होय।"
"अरे
एक ही दिन में निबटा दीजिये, ऑफिस वाले टोकने लगे हैं कि साहब आपके घर में
श्राद्ध नहीं होता है। कुछ तो दिखाने के लिए भी करना पड़ता है। वैसे मैं
इन सब चीजों को नहीं मानता।"
"पुरखन में १५ दिन पानी दओ जात है , तब श्राद्ध होत है।"
"आप शॉर्ट कट बतलाइये, इतना समय मेरे पास नहीं रहता है।"
"शॉर्ट कट ये का होत है?"
"देखिये
मैं छोटे की तरह से सालों अम्मा बाबू को नहीं झेल सकता था इसी लिए उनको
छोटे ने रखा। इतना मेरे पास समय नहीं है और न मेरी पत्नी के पास। इस लिए
सिर्फ श्राद्ध करवाना है, वह भी इस लिए कि ऑफिस वालों का चक्कर है, थोड़ा
बुरा लगता है कोई टोकता है तो।"
"सही है जजमान तुम तो वई काम कर रहे हौ जो बड़े जन कह गए --
जियत न दीनो कौरा , मरें उठाये चौरा”।
"इसका मतलब?"
"कछु नईं जजमान, अब अगले साल करिओ तौ सबरे पितर प्रसन्न हो जैहें।"
"इसी को शॉर्ट कट कह रहा था, कि पितर भी खुश और काम भी जल्दी हो जाये. "
अच्छा पंडित जी अब चलता हूँ. अगले साल बुलवा लूँगा.