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सोमवार, 14 अप्रैल 2025

 

 उम्र खर्च हो गयी

बिना सोचे-समझे,

बहुत पैसे कमाने के लिए।

धनी आज बहुत हैं,

रखने की जगह नहीं,

बस चुप हो गया।

वक़्त ही नहीं मिला संभालें,

जैसे भी थे, कुछ तो करीब थे।

कम अमीर थे,

लेकिन दिल से अनमोल थे,

तब शायद हम खुशनसीब थे।