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बुधवार, 25 जनवरी 2012

३२ वर्ष का जीवन !







२६ जनवरी १९८० वह दिन था जिस दिन हम नई जिन्दगी शुरू करने के लिए वचनबद्ध हुए थे एक लम्बा अरसा गुजर गया और लगता नहीं कि ये वर्ष कहाँ गुजर गए ? संयुक्त परिवार की जिम्मेदारियों को पूरा करते करते और अपने बच्चों के बड़ा करने और पढ़ाने लिखने में ही सारा समय गुजर गया
आज हम जिस स्थिति में हें तो पुराने किसी किस्से को याद करके हँस लेते हेंबात २६ जनवरी १९८१ की है हमारी पहली विवाह की वर्षगांठ थी और इत्तेफाक से दिन भी ऐसा कि चाहे कहीं भी रहें इस दिन तो छुट्टी होनी है और हम कहीं भी जाने और आने के लिए स्वतन्त्रबड़े अरमानों से मैं तैयार हुई कि आज हम पिक्चर देखने जाते हें और वहीं से खाना खाकर लौटेंगेपरिवार हमारा बहुत आधुनिक था लेकिन मेरे पति उस समय मेडिकल रिप्रजेंतेतिवे थे और उनका मिलने जुलने वालों का स्तर अलग था और वे सब में शरीक होते थे इसलिए पार्टी देना भी जरूरी थालेकिन ये बात किसी को नहीं बताई थी घर में
मैं तो तैयार हो गयी और उस समय घर से बाहर जाने पर ससुर जी की अनुमति लेनी पड़ती थीमेरे तो पूछने का कोई सवाल ही नहीं उठता था सो पतिदेव गए पूछने के लिएउन्होंने सपाट शब्दों में मना कर दिया नहीं कहीं नहीं जाना है घर में रहोये घर में नई आई हैं कि घूमने जायेंगीमैंने साड़ी उतार दी और लेट कर खूब रोई, लेकिन तब ये था कि अगर पिताजी ने मना कर दिया है तो उनके लड़के उसके विरुद्ध कुछ कर सकेंबस दोनों चुपचाप घर में बैठ गएअपने दोस्तों को इन्होने फ़ोन करके बता दिया की पार्टी रेखा की तबियत ठीक नहीं है इसलिए शाम को रख लेते हेंऔर फिर इस बात के लिए उन्होंने ही भूमिका बनायीं और झूठ बोला कि रेखा के पेट में दर्द है इसे डॉक्टर को दिखाने के लिए ले जाना है. मेरा दिन में गुस्से के मारे खाना खाने का मन नहीं हुआ और मैंने खाना खाया भी नहीं तो ससुर जी को विश्वास हो गया कि जरूर तबियत ख़राब है और उन्होंने अनुमति दे दीहम दिन के बजाय शाम को निकले और रात तक लौटे
ससुर जी को लगा की इसको तो डॉक्टर को दिखाने में समय लगता नहीं है फिर इतनी देरगेट खोलते ही पूछा इतनी देर कहाँ लगा दी?
"वो डॉक्टर बहादुर को दिखाया था तो वो बोले बहू पहली बार आई है बगैर खाना खाए नहीं जाओ।" बताती चलूँ कि ये डॉक्टर बहादुर मेरे ससुर के सेवाकाल में अस्पताल में डॉक्टर थे और उनसे अच्छे सम्बन्ध थेबस बात बन गयी अब सोचती हूँ की एक दिन को अपने ढंग से जीने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़े थे

10 टिप्‍पणियां:

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सबसे पहले तो आप इस दिन की बधाई स्वीकारें।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत बहुत बधाई....शुभकामनायें

Pallavi saxena ने कहा…

बहुत-बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनायें ...समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://aapki-pasand.blogspot.com

shikha varshney ने कहा…

सबसे पहले इस शुभ दिन की बहुत बधाई.
वाकई कितना समय बदल गया है. अब तो लोग बहुत हुआ तो बस बता जाते हैं घर पर कि बाहर जा रहे हैं देर से लौटेंगे :)

विभूति" ने कहा…

बहुत बहुत बधाई....शुभकामनायें

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

vaah!!! badhaai ho....

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

aao sabhi badhai dene valon ko mera hardik dhanyavad !

राजेश उत्‍साही ने कहा…

वैवाहिक जीवन के तैंतीस वें वर्ष में प्रवेश की हार्दिक बधाई।
*

तो एक गणतंत्र वह था और एक आज का है। तय करें कि कौन सा बेहतर है।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

विवाह की सालगिरह पर बधाई .. पहले की बात ही कुछ और ही थी .

Udan Tashtari ने कहा…

इस विशिष्ट दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएँ.