tag:blogger.com,1999:blog-7850658937061725515.post4592223656570866553..comments2023-10-14T03:24:46.816-07:00Comments on यथार्थ: दोहरी मानसिकता : आखिर कब तक ? रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-7850658937061725515.post-64158885510825204072013-10-05T06:52:13.162-07:002013-10-05T06:52:13.162-07:00आपने लिखा....हमने पढ़ा....
और लोग भी पढ़ें; ...इसल...आपने लिखा....हमने पढ़ा....<br />और लोग भी पढ़ें; ...इसलिए आपकी पोस्ट <a href="http://hindibloggerscaupala.blogspot.com/" rel="nofollow">हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल</a> में शामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा <a href="http://hindibloggerscaupala.blogspot.com/" rel="nofollow"> {रविवार} 06/10/2013 </a> को <a href="http://hindibloggerscaupala.blogspot.com/" rel="nofollow">इक नई दुनिया बनानी है अभी..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल – अंकः018</a> पर लिंक की गयी है। कृपया आप भी पधारें और फॉलो कर उत्साह बढ़ाएँ | सादर ....ललित चाहारAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7850658937061725515.post-85923924144313697292013-10-03T01:46:45.786-07:002013-10-03T01:46:45.786-07:00विचारिणीय आलेख, वास्तव में हम किधर जा रहे हैं, यह ...विचारिणीय आलेख, वास्तव में हम किधर जा रहे हैं, यह समझ में नहीं आता, किस दिखावे में जी रहे हैं हम, अगर हमारा अंतर्मन ही मानने को तैयार न हो तो फिर ऐसा दिखावा भी भला किस काम का।Niraj Palhttps://www.blogger.com/profile/12597019254637427883noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7850658937061725515.post-61432310172582531932013-10-02T07:27:37.645-07:002013-10-02T07:27:37.645-07:00आज भी संकीर्ण मानसिकता देखने को मिल जाती है
सार्...आज भी संकीर्ण मानसिकता देखने को मिल जाती है <br /><br />सार्थक पोस्ट है आपकी रेखा दीदी Anju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7850658937061725515.post-76064372197488554522013-10-02T01:33:24.926-07:002013-10-02T01:33:24.926-07:00यही तो विडम्बना है मासी ... हम जिस परिस्थिति में ज...यही तो विडम्बना है मासी ... हम जिस परिस्थिति में जी रहे हैं वीएच न घर की है न घाट की ना हम पूरी तरह हिन्दुस्तानी ही बचे है और ना ही विदेशी इसलिए हमारी मानसिकता भी जरूरत के मुताबिक आधुनिक या रुड़ीवादी के हिसाब से चलती है खासकर जब बात बेटियों की हो तब हम सबसे ज्यादा असमंजस की स्थिति महसूस करते हैं और चाहकर भी उसका विवाह अपने से नीची जाति में नहीं कर पाते फिर चाहे होने वाला वीआर कितना भी शालीन क्यूँ ना हो मैं भी जानती हूँ ऐसे ही एक परिवार को उनकी एकलौती बेटी ने एक हरिजन से विवाह कर लिया उसी दिन से लड़की के पिता ने यह मान लिया कि उनकी बेटी उनके लिए मर गयी। <br />यह सब देखकर तो लगता है इस सब से तो विदेशी संस्कृति ही अच्छी कम से कम समान रूप से तो चलते हैं यह लोग और कुछ हो न हो मगर किसी भी तरह का कोई दुराव छुपाव तो नहीं होता यहाँ...विचारिणीय आलेख Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7850658937061725515.post-80340099113593270852013-09-30T19:37:11.702-07:002013-09-30T19:37:11.702-07:00हम केवल अपने मतलब के लिये ही आधुनिक हैं, नहीं तो प...हम केवल अपने मतलब के लिये ही आधुनिक हैं, नहीं तो पक्के रूढ़िवादी..विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.com