tag:blogger.com,1999:blog-7850658937061725515.post6979933976327802974..comments2023-10-14T03:24:46.816-07:00Comments on यथार्थ: बोली बड़ी अनमोल !रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-7850658937061725515.post-68667024616474641152011-05-07T21:41:01.851-07:002011-05-07T21:41:01.851-07:00रेखा जी आपसे सहमत हूँ।रेखा जी आपसे सहमत हूँ।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7850658937061725515.post-47578507994885956962011-05-06T04:25:00.977-07:002011-05-06T04:25:00.977-07:00व्यक्तित्व की गरिमा के लिए बोली का संयम बहुत आवश्य...व्यक्तित्व की गरिमा के लिए बोली का संयम बहुत आवश्यक है.बाते हाथी पाईये बाते हाथी पावँ<br />संवेदन शील आलेखकानपुर ब्लोगर्स असोसिएसनhttps://www.blogger.com/profile/04062998860340210366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7850658937061725515.post-50430293813918613882011-05-05T11:57:49.925-07:002011-05-05T11:57:49.925-07:00वाणी संयम और संतुलित बोल जीवन की अमूल्य निधि है। अ...वाणी संयम और संतुलित बोल जीवन की अमूल्य निधि है। अपने शत्रु से भीसंयमित बोलिए और संतुलित रहिये...<br /><br />सार्थक संदेश देता अच्छा आलेख.Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7850658937061725515.post-41104035185831825552011-05-05T01:21:34.342-07:002011-05-05T01:21:34.342-07:00वाणी संयम और संतुलित बोल जीवन की अमूल्य निधि है। अ...वाणी संयम और संतुलित बोल जीवन की अमूल्य निधि है। अपने शत्रु से भीसंयमित बोलिए और संतुलित रहिये। इसी में आपका बड़प्पन है और आपकी सही छवि आपके व्यक्तित्व कीगरिमा है ।<br />bahut achchi baat likhi hain aap....mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7850658937061725515.post-44092083372385367172011-05-04T04:26:20.511-07:002011-05-04T04:26:20.511-07:00बुढ़ापे में पैसे के साथ व्यवहार भी बहुत काम आता है ...बुढ़ापे में पैसे के साथ व्यवहार भी बहुत काम आता है !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7850658937061725515.post-23859808037274432892011-05-03T23:34:50.559-07:002011-05-03T23:34:50.559-07:00उत्तम आलेख.उत्तम आलेख.संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7850658937061725515.post-20583461551290788752011-05-03T23:08:00.756-07:002011-05-03T23:08:00.756-07:00शोभना जी/राज जी
हम सदैव...शोभना जी/राज जी<br /><br /> हम सदैव दूसरों में जिस व्यवहार की अपेक्षा करें वह हमें भी करना चाहिए. अपनी सोच को सकारात्मक रखें तो परिणाम भी सकारात्मक मिलेंगे. जब बच्चे छोटे होते हैं तो हम उन पर जान देते हैं और बड़े होने पर ऐसा क्यों सोचने लगते हैं. वैसे प्यार देने से प्यार ही मिलता है, फिर चाहे इसे आप इंसान से लेकर पशु पक्षी तक किसी में भी देकर देखें.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7850658937061725515.post-85252229042622018022011-05-03T10:51:34.876-07:002011-05-03T10:51:34.876-07:00रेखा श्रीवास्तव जी, आप के लेख से समह्त हुं, अगर हम...रेखा श्रीवास्तव जी, आप के लेख से समह्त हुं, अगर हम अपने बच्चो को समय दे तो बच्चे भी हमे बुढापे मे समय देगे,बच्चो की शादी के बाद हमारा फ़र्ज बनता हे उन की बीबी यनि बहू को हम बेटी की तरह से रखे..ऎसी बाते हम ने यहां ओर भारत मे बहुत देखी हे सास बहू की, मां बाप ओर बेटो की ओर हमेशा ही इन सब बातो से सवक ही लिया हे, धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7850658937061725515.post-86860201352666173132011-05-03T05:49:13.592-07:002011-05-03T05:49:13.592-07:00रेखाजी
बहुत सार्थक आलेख |अभी कुछ दिन पहले मेरे चचे...रेखाजी<br />बहुत सार्थक आलेख |अभी कुछ दिन पहले मेरे चचेरे देवर देवरानी मेरे से मिलने यहाँ बेंगलोर आये थे तो ऐसे ही बाते निकली |उनके कोई बच्चे नहीं है |पर वे सारे परिवार को ही अपना मानते है काफी मिलनसार है तो उनका कहना यही था की पहले की अपेक्षा आज के बच्चे अपने माता पिता का ध्यान ज्यादा अच्छे से और सम्मान पूर्वक रखते है |आपके आलेख के उदाहरन में मै चार लाइने कहूँगी<br />उन्होंने तो दी थी<br />हमे घने दरख्तों की छाया<br />जिसमे हम भरपूर फले भी फूले भी <br />हम अभी से आशंकित ,आतंकित<br />क्योकि हमने तो दी है इन्हें<br />बोगनबेलिया और मनी प्लांट की छाया |शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7850658937061725515.post-46901891861854919832011-05-03T05:25:31.142-07:002011-05-03T05:25:31.142-07:00अरुण जी,
बहुत बहुत धन्यवाद . आलेख...अरुण जी,<br /> बहुत बहुत धन्यवाद . आलेख अच्छा लगा और मुझे भी आप सबसे मिल कर बहुत अच्छा लगा. मेरा आना सार्थक हुआ.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7850658937061725515.post-45087734802641574172011-05-03T05:23:22.869-07:002011-05-03T05:23:22.869-07:00राजीव भाई,
मेरा दिल्ली आने क...राजीव भाई,<br /><br /> मेरा दिल्ली आने का मुख्य अपने सभी ब्लोगर साथियों से मिलना ही था. मेरी वह तमन्ना पूरी हुई और आना सफल हुआ. रूबरू मिलने से बात कुछ और ही होती है.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7850658937061725515.post-19146496138927743892011-05-03T03:30:51.780-07:002011-05-03T03:30:51.780-07:00रेखा दीदी,
आपकी बात सोलह आने सच है.मेरे जीवन में भ...रेखा दीदी,<br />आपकी बात सोलह आने सच है.मेरे जीवन में भी ऐसा समय आया था जब मेरी सास कैंसर से पीड़ित थी.मैंने अपनी पत्नी को कहा था कि जबतक उनलोगों को तुम्हारी जरूरत है तुम वहीँ रहो और पूरी लगन से उनकी सेवा करो.ऐसा अवसर बार-बार नहीं आता.समय और आगे की पीढ़ी पर दोष मढ़कर बच पाना बहुत मुश्किल है.समाज में आये बदलाव - अच्छे या बुरे - के लिए हम अधिक जिम्मेवार हैं. माटी से अधिक दोष कुम्हार का ही होता है. सही कहा आपने "वाणी संयम और संतुलित बोल जीवन की अमूल्य निधि है।"आप जैसा दृष्टान्त सामने रखेंगे वैसा ह परिणाम सामने पाएंगे.<br />दिशा देती रचना.<br />आपसे हिंदी भवन में मिलकर एक अजीब सी आत्मिक ख़ुशी महसूस कि मैंने.आप सबका स्नेह मेरी धरोहर बनाकर रहेगा.Rajivhttps://www.blogger.com/profile/05867052446850053694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7850658937061725515.post-15772078983773335332011-05-03T03:01:09.730-07:002011-05-03T03:01:09.730-07:00bahut sahi kaha aapne.
vicharotejak aalekh.bahut sahi kaha aapne.<br />vicharotejak aalekh.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7850658937061725515.post-15862379856754190512011-05-03T02:49:02.406-07:002011-05-03T02:49:02.406-07:00उत्तम आलेख....व्यक्तित्व की गरिमा के लिए बोली का स...उत्तम आलेख....व्यक्तित्व की गरिमा के लिए बोली का संयम बहुत आवश्यक है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7850658937061725515.post-3366953461764596772011-05-03T02:00:53.783-07:002011-05-03T02:00:53.783-07:00विचारोत्तेज़क आलेख ! बहुत सुन्दर ! आपको पढना सदैव ...विचारोत्तेज़क आलेख ! बहुत सुन्दर ! आपको पढना सदैव अच्छा लगता है.. और दिल्ली में आप से मिलकर अच्छा लगा..अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.com